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मुख्यमंत्री की मंशा,विक्रम विश्वविद्यालय हरेक स्तर पर अपना परचम फहराए:कार्यपरिषद सदस्य राजेश सिंह कुशवाह

उज्जैन । विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की पहचान कुछ अलग हटकर ऐसी होनी चाहिये कि,हरेक स्तर पर यह विश्वविद्यालय अपना परचम फहराए,यह मंशा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव की रही है और भविष्य में इस विश्वविद्यालय के कल्याण के लिए वह बहुत कुछ करने वाले हैं,अब इसके लिए हमारा कर्तव्य है कि,विक्रम विश्वविद्यालय को अग्रणी बनाने के लिए प्राणपण से जुट जाएं । 
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कार्यपरिषद सदस्य राजेश सिंह कुशवाह ने उपरोक्त उद्गार विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में हो रहे सर्वांगीण विकास में कार्यपरिषद् सदस्यों और माननीय कुलगुरु के महत्वपूर्ण योगदान पर विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय प्राध्यापक कल्याण परिषद उज्जैन द्वारा आयोजित किए गए सारस्वत सम्मान 2025 कार्यक्रम में अपने स्वागत के प्रत्युत्तर में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। 
सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय प्राध्यापक कल्याण परिषद द्वारा आयोजित सारस्वत सम्मान समारोह में कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज सहित कार्यपरिषद सदस्य राजेश सिंह कुशवाह,रुप पमनानी,वरूण गुप्ता,डाॅ संजय वर्मा,श्रीमती मंजूषा मिमरोट,श्री मती कुसुमलता निगवाल,प्रो एस के मिश्रा,डाॅ दीपक गुप्ता, डाॅ कामरान सुल्तान एवं डाॅ अलका व्यास,डाॅ कमलेश दशोरा और कुलसचिव डाॅ अनिल कुमार शर्मा का विश्वविद्यालय की समस्त अध्ययनशाला और संस्थानों द्वारा शॉल, स्मृति चिन्ह व श्रीफल भेंट कर अभिनंदन किया गया। 
कार्य परिषद सदस्य राजेश सिंह कुशवाह ने कहा कि  मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में विश्वविद्यालय को नई दिशा देने का कार्य किया जा रहा है। विक्रम विश्वविद्यालय को नया नाम देने के साथ-साथ नई ऊंचाइयों पर भी ले जाया जाएगा और शीघ्र ही शिक्षकों के कल्याण का भी कार्य आरंभ होगा। 
समारोह की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने कहा कि,मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मार्गदर्शन में इस विश्वविद्यालय को नई-नई  सौगात प्राप्त हो रही है। यह समय विश्वविद्यालय के लिए अमृतकाल का समय है और इस समय का लाभ विश्वविद्यालय को प्राप्त होना चाहिए।विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की कल्याण की बात पहले आती है।विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के प्रवेश की संख्या बड़े और रिजल्ट जल्दी जारी किए जाएं यह हमारी प्राथमिकता होती है। 
कुलगुरू प्रो भारद्वाज का कहना था कि, यह विश्वविद्यालय माननीय मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव की  कर्मभूमि और राजनीतिक भूमि भी है और आज वह विश्वभर में इस विश्वविद्यालय की पहचान स्थापित कर रहे हैं,हमें और हमारे विद्यार्थियों के लिए यह गौरवान्वित करने वाला समय चल रहा है । 
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों से शिक्षकों का संवाद होना चाहिए विद्यार्थियों का सही मार्गदर्शन करना शिक्षकों का प्रथम कर्तव्य होता है और हमारी  विद्यार्थियों से अंत:क्रिया में कमी है इसे बढ़ाया जाए। 
कार्यपरिषद सदस्य वरुण गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय न सिर्फ विद्यार्थियों का कल्याण करता है बल्कि शिक्षकों का भी कल्याण करता है और नई पीढ़ी को सजाने व संवारने के लिए हमें अपने धार्मिक संस्कारों के साथ विद्यार्थियों को शिक्षित व दीक्षित करने की आवश्यकता है। 
कार्यपरिषद सदस्य डाॅ संजय वर्मा ने कहा मैं स्वयं इस विश्वविद्यालय में पढ़ा हूं और आज इसकी कार्य परिषद का सदस्य हूं इसलिए मेरी महती जिम्मेदारी है कि विश्वविद्यालय के हर हित का ध्यान रखूं। 
कार्यपरिषद सदस्य रूप पमनानी ने कहा मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव स्वयं विश्वविद्यालय के विकास में रुचि ले रहे हैं और यह देखकर मुझे आश्चर्य होता है कि वह लगातार निजी रुचि लेकर गुरु दक्षिणा दे रहे हैं। 
अन्य सदस्य श्रीमती मंजूषा मिमरोट, श्रीमती कुसुमलता निगवाल, प्रो. कामरान सुल्तान, प्रो. कमलेश दशोरा, प्रो. एस.के. मिश्रा, प्रो. दीपक गुप्ता, प्रो. अलका व्यास, ने भी शुभकामनाएं दी। 
समारोह में स्वागत भाषण संकाय सदस्य डाॅ योगेश कुल्मी ने देते हुए विजिटिंग फैकल्टी व गेस्ट फैकेल्टी की ओर से अधिकार और कर्तव्यों की बात रखी गई।साथ ही कहा कि,विश्वविद्यालय को नई दिशा देने के लिए अतिथि शिक्षक साथ हैं । 
अतिथियों का स्वागत प्राध्यापक कल्याण परिषद अध्यक्ष डॉ. हेमंत लोदवाल एवं वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ सुशील कुमार शर्मा  द्वारा किया गया। 
अतिथियों का सम्मान डाॅ नेहा माथुर डॉ. प्रीति पाण्डे,डाॅ उमा शर्मा,डॉ. राकेश पांडे, डॉ. जितेश पोरवाल, डॉ. मनीष चोरे, डॉ. संतोष ठाकुर, सचिव डॉ.अजय शर्मा,एवं डॉ. मुकेश वाणी ने किया। 
संचालन डॉ. रुचिका खंडेलवाल ने किया तथा आभार सचिव डॉ. अजय शर्मा द्वारा व्यक्त किया गया। 
इस कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य के बारे में सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय प्राध्यापक कल्याण परिषद उज्जैन के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. हेमंत लोदवाल ने उल्लेख करते हुए  विक्रम विश्वविद्यालय ने विगत वर्षों में मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव के नेतृत्व में जो गौरवशाली उपलब्धियां हासिल की है उसका वाचन किया और कहा कि इस उपलब्धि में सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि  मुख्यमंत्री द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय को सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन का नामकरण किया जाना शामिल है जिससे इस विश्वविद्यालय की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का सराहनीय कदम है। 
डॉ. लोदवाल ने वाचन पत्र में कहा कि विश्वविद्यालय को पी.एम. उषा के तहत 100 करोड़ रु. की राशि स्वीकृत होना भी महत्वपूर्ण उपलब्धि है जिससे इस विश्वविद्यालय के परिसर को विकसित किया जाएगा और अध्ययनशालाओं को समृद्ध किया जाएगा और इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने जो पूरे प्रदेश में महत्वपूर्ण गौरव बढ़ाया है वह अपने अकादमिक शैक्षणिक समय सारणी में परीक्षाएं संपन्न करने वाला रहा है और इनके परिणाम अकादमिक सत्र के पूर्व ही घोषित कर विश्वविद्यालय का नाम गौरवान्वित करवाने वाला रहा है। 
डॉ. लोदवाल ने बताया कि जिनका सारस्वत सम्मान किया गया उनके द्वारा विश्वविद्यालय में डेयरी टेक्नोलॉजी सहित प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करवाकर विश्वविद्यालय के गौरव में वृद्धि की है और खेलों के प्रोत्साहन हेतु खेल पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करवाया है। इसके साथ ही पीएचडी प्रवेश परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि की स्वीकृति करके शोध एवं अनुसंधान की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी तरह विक्रम विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं में कार्यरत अतिथि विद्वानों और विजिटिंग विद्वानों के मानदेय में उच्च शिक्षा विभाग भोपाल के परिपालन में वृद्धि करके फैकल्टी को गौरव प्रदान करवाया है और इन्हें विश्वविद्यालय की विभिन्न शैक्षणिक, सांस्कृतिक, अकादमिक, बौद्धिक आयोजनों की समितियों में नामांकित कर इनके गौरव में वृद्धि की है। इसके अलावा छात्रावास के विकास एवं नवीनीकरण में पूर्ण सहयोग प्रदान कर विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाया है।

Dr. Sanjay Nagar

Author & Co-Founder Takshit News

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