देश-विदेश

बांग्लादेश जैसी हिंसक घटनाओं की भारत में कल्पना करना विकृत मानसिकता

(डॉ. संजय नागर )बांग्लादेश की हाल की घटनाओं के बाद भारत में तथाकथित बुद्धिजीवी अपने देश में भी बांग्लादेश जैसी घटनाओं के कयास लग रहे हैं और वर्तमान सत्ता के विरोध में बयान बाजी करते-करते यह भूल जाते हैं कि शेख हसीना के विरोध में बांग्लादेशी उन्मादी अपने राष्ट्र का कितना अहित कर बैठे हैं। अब उस की भरपाई कैसे होगी यह समय ही बतायेगा।
बांग्लादेश की सड़कों पर उतरी भीड़ ने हिन्दुओ के व्यापारिक प्रतिष्ठानों सहित शासकीय संपत्ति का भी विध्वंस किया है। यदि बांग्लादेश में शेख हसीना का विरोध था तो वह सुरक्षित रूप से बांग्लादेश से पलायन कर चुकी है। अब वहां के बाशिंदे हिंसा कर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं।
हिंसा में वहां 400 से अधिक लोग अपनी जान गवा चुके हैं और भारत में कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी बांग्लादेश जैसी स्थिति की कल्पना कर रहे हैं। जिसके पीछे वे जिन समस्याओं के बेतूके तर्क देते हुए अपना पक्ष रख रहे है मानो ये स्थिति या समस्याए पिछले एक दशक में ही सामने आई हो उससे पहले की आधी सदी तो मानो भारत में बिना समस्याओं के बीती हो।
भारतीय राजनीति का यह सबसे खराब दौर माना जा सकता है कि सरकार के विरोध में ऐसी देशव्यापी हिंसा की कल्पना की जाए। भारत एक प्रजातांत्रिक देश है जिसमें विरोध का एक गरिमामय तरीका एवं प्रावधान है। परंतु लगता है पांच दशक तक सत्ता सुख भोगने के बाद प्रमुख विपक्षी दल दूसरे दल की एक दशक की सत्ता को हजम नहीं कर पा रहा है और अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने के बाद अब ऐसी कल्पना में लगा है कि राष्ट्रव्यापी विद्रोह हो एवम शांति प्रिय देश की साख पर भी उनके स्वार्थ की आंच आये।
एक सौ चालीस करोड़ देशवासियों का यह परिवार इतना परिपक्व है कि देश विरोध एवं राजनीतिक दल या सरकार के विरोध में अंतर समझ सके और देश में अशांति फैलाने वाले मंसूबो को असफल कर दें।

Dr. Sanjay Nagar

Author & Co-Founder Takshit News
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