संतों ने की सिंहस्थ 2028 में शिप्रा जल से ही स्नान की मांग
संतों समाज सिंहस्थ के लिए हुआ सक्रिय
■ शिप्रा नदी का हो शुद्धीकरण,
■ शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाये
■ समस्त साधु-संतो की निजी भूमी पर स्थाई निर्माण की अनुमति हो।
■ समस्त आश्रम में 50-50 लाख रूपए की लागत के निर्माण कार्य अभी से प्रारंभ हो
उज्जैन। सिंहस्थ 2028 के भव्य आयोजन के लिए राज्य शासन के स्तर पर तैयारियां आरंभ होने के बाद अब उज्जैन के समस्त अखाड़ो के साधु-संतो की गतिविधियां भी आरंभ हो गई है।
इसी क्रम उज्जैन के समस्त संत-महंतो की एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव पारित किए गए है। मुख्यरूप से इस बैठक में शिप्रा नदी के शुद्धीकरण, नदी को प्रवाहमान बनाने, शिप्रा जल से ही सिंहस्थ में स्नान और कान्ह नदी डायवर्शन की स्वीकृत योजना को ओपन कैनाल के जरिए शीघ्रता से लागू करने की मांग मुख्य रूप से राज्यशासन के समक्ष रखी गई है।
समस्त साधु-संतो की निजी भूमी पर स्थाई निर्माण की अनुमति शासन द्वारा दी जानी चाहिए। समस्त स्थानों पर कम से कम 50-50 लाख रूपए की लागत के निर्माण कार्य अभी से प्रारंभ किया जाना चाहिए। सिंहस्थ 2016 के दौरान महज एक माह पहले ही आश्रम व अखाड़ो में निर्माण कार्य प्रारंभ किए गए थे, जो सिंहस्थ तक भी अपूर्ण रहे। लिहाजा इस बार आश्रम व अखाड़ो में निर्माण कार्य जल्द शुरू किए जाए।
अंकपात द्वार स्थित स्वामी श्री नृत्यगोपालदास जी महाराज(अयोध्या) के आश्रम, हनुमान वाटिका पर षट्दर्शन साधु समाज के समस्त महंतो की इस बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक की अध्यक्षता महंत डा. रामेश्वरदास जी ने की। बैठक में उज्जैन के समस्त वैष्णव, शैव, नाथ, उदासी व अन्य संप्रदाय के महंतों ने मौजूद रहकर अपने अमूल्य सुझाव दिए। बैठक में पारित प्रस्तावों से संत-महंतो के प्रतिनिधिमंडल के जरिए राज्यशासन को अवगत कराने का निर्णय पारित किया गया। यह भी तय किया गया है कि निकट भविष्य में उज्जैन के संतो का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव से मुलाकात करेगा व संतो की ओर से आई मांगो से मुख्यमंत्री को अवगत कराया जाएगा। संतो की बैठक में प्रस्ताव पारित किया कि उज्जैन पवित्र नगरी है लिहाजा यहां मांस, अंडा व मदिरा की दुकाने हरिद्वार की तर्ज पर शहर से बाहर की जाए।सिंहस्थ भूमि क्षेत्र में संतो के नए आश्रमों को वैध निर्माण अनुमति दी जाए। प्रत्येक आश्रम में सिंहस्थ पूर्व राज्यशासन द्वारा 50-50 लाख रूपए की राशि से आवश्यक निर्माण कार्य कराए जाए। सिंहस्थ क्षेत्र की अवैध कालोनियों को अतिक्रमण मुक्त किया जाए।सिंहस्थ की मुख्य पहचान मां शिप्रा नदी के शुद्धीकरण के लिए कान्ह डायवर्शन स्वीकृत परियोजना में गोठड़ा से कालियादेह महल तक ओपन कैनाल का निर्माण कार्य शीघ्रता से प्रारंभ किया जाए।