लोक साहित्य, कला और संस्कृति के सम्वर्द्धन के लिए महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी सदैव प्रतिबद्ध – डॉ. शीतला प्रसाद दुबे
मुंबई। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ शीतला प्रसाद दुबे ने कहा है कि यह अकादमी भारत के विविधतापूर्ण लोक साहित्य, कला एवं संस्कृति के सम्वर्द्धन के लिए सदैव प्रतिबद्ध रही है और भविष्य में भी इस दिशा में अकादमी के हरसम्भव प्रयास निरंतर जारी रहेंगे।
डॉ. दुबे ने मुंबई के केसी कॉलेज के सभागार में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी और मुंबई की प्रमुख सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था “अभियान” के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कजरी लोक महोत्सव के अवसर पर प्रमुख अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किये। उन्होंने स्वाधीनता दिवस के उपलक्ष्य में सभी को अकादमी की ओर से हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि लोक साहित्य, लोक कलाऍं और सांस्कृतिक परम्पराऍं हमारे जीवन को सकारात्मक एवं सार्थक दृष्टिकोण प्रदान करती हैं और हमारे समाज एवं राष्ट्रीय एकता को समृद्ध एवं सशक्त बनाती हैं। डॉ. दुबे ने कहा कि लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता, बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है और लोक साहित्य की एक सशक्त विधा है लोकगीत। उन्होंने कहा कि वर्षा ऋतु के आने पर लोगों के मन में जिस नये उल्लास एवं उमंग का संचार होता है, उस भाव की अभिव्यक्ति करती है कजरी। उन्होंने कहा कि लोक गौरव को सम्मानित करने के लिए लोक संगीत से बेहतर कोई दूसरी विधा नहीं हो सकती। पूर्व उपमहापौर अरुण देव, प्रसिद्ध कहानीकार डॉ. माधुरी छेड़ा, ‘अभियान’ के संस्थापक अमरजीत मिश्र और महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। मशहूर कवि सुरेश मिश्र द्वारा कजरी धुन पर सरस्वती वंदना और महाराष्ट्र राज्य गीत की प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। अकादमी और अभियान की ओर से उपस्थित अतिथियों को पुस्तकें देकर सम्मानित किया गया। आरम्भ में अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ दुबे ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कजरी महोत्सव के आयोजन की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लोक भाषा, लोक साहित्य और लोक संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी हैं। पूर्व राज्यमंत्री अमरजीत मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि अभियान पिछले बारह वर्षों से कजरी महोत्सव का आयोजन करता रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य लोक विधा के माध्यम से अपनी संस्कृति को गौरवान्वित करने के साथ ही उसे संरक्षित करना भी है। उल्लेखनीय है कि मुंबई में 1 अगस्त, 2023 से प्रतिदिन आयोजित इस महोत्सव का समापन स्वतंत्रता दिवस के दिन हुआ। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के साथ ही ‘अपनी माटी अपना देश’ की अवधारणा को प्रमाणित करने का यह उपक्रम भारतीय संस्कृति को गौरवान्वित करने की महत्वपूर्ण पहल थी। सुगंधित फूलों से सजे झूले और मेंहदी रचाती माताओं -बहनों के बीच खचाखच भरे सभागृह में प्रख्यात लोकगायिका संजोली पांडेय ने प्रारम्भ में जब देशप्रेम का गीत गाया तो पूरे सभागृह में दर्शकों के होठों पर भारत मां की वंदना के स्वर गूंज उठे। अयोध्या से आई प्रख्यात लोक गायिका सुश्री संजोली पांडेय ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत देशभक्तिपूर्ण गीत “हर जन्म मिले इस धरती पर, यह धरती मुझको याद रहे, कल मैं ना रहूॅं, पर सदियों तक मेरा भारत जिंदाबाद रहे..!” की प्रभावशाली पंक्तियों से की, वहीं समापन एक अन्य जोशीले देशभक्ति गीत “उठो जवान, देश की वसुंधरा पुकारती, यह देश है पुकारता, पुकारती मां भारती..!” से किया। अपनी सुमधुर पेशकश के दौरान सुश्री संजोली ने उत्तर प्रदेश और बिहार की आंचलिक शैली में श्रृंगार, विरह, भक्ति और मनुहार सहित विभिन्न स्वरूपों की एक से बढ़कर एक कजरियाॅं सुनाकर बड़ी संख्या में मौजूद दर्शकों की वाहवाही बटोरी और इस सुरम्य शाम को अविस्मरणीय बना दिया।विभिन्न कजरी प्रस्तुतियों का आनंद लेते हुए उपस्थित लोगों में अपने गांवों की स्मृतियां ताजा हो उठीं। संजोली पांडेय की प्रस्तुति से लोग थिरकने से स्वयं को रोक नहीं सके और झूला, गायन, मेंहदी के साथ नृत्य ने अनूठा समां बांध दिया। मंच पर कजरी प्रस्तुति तथा सभागृह में मंत्रमुग्ध श्रोताओं के बीच की दूरी संगीत ने पूरी तरह मिटा दी और लगभग तीन घंटे तक अद्भुत संगीत सरिता निरंतर प्रवाहित होती रही। इस अवसर पर बोलते हुए महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की उपाध्यक्षा श्रीमती मंजू लोढ़ा ने लोक कलाओं और लोक साहित्य के महत्व को प्रतिपादित किया और इनके निरंतर संरक्षण एवं सम्वर्द्धन की आवश्यकता पर बल दिया। अभियान और अकादमी की ओर से कच्छ की उच्च शिक्षित प्रथम महिला, एस एन डी टी विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर और वरिष्ठ रचनाकार डॉ माधुरी छेड़ा को शाॅल , पुस्तक और स्मृति चिह्न देकर ‘स्त्री शक्ति सम्मान’ से सम्मानित किया गया। अकादमी की उपाध्यक्षा श्रीमती मंजू लोढ़ा ने झूला झूलते हुए गायिका संजोली पांडेय के सुर में सुर मिलाया तो सभागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस अवसर पर पूर्व विधायक अतुल शाह, पूर्व नगरसेवक आकाश राजपुरोहित,कमलाकर दलवी, शैलेश पांडेय, संतोष दीक्षित, राकेश सिंह, ब्रजेश तिवारी आदि अतिथि उपस्थित थे। अभियान संस्था की ओर से कार्याध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों ने इस मौके पर मौजूद महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारिणी सदस्यों डॉ. संजय सिंह, गजानन महतपुरकर, मार्कंडेय त्रिपाठी और सुश्री कमला बड़ोनी का सत्कार किया। समारोह का समापन राष्ट्रगीत के साथ हुआ। इस महोत्सव में सावन का मनोरम माहौल बनाने के लिए मंच पर ही सुसज्जित झूले और मेहंदी लगाने की विशेष गतिविधियों का बड़ी संख्या में मौजूद महिलाओं ने जमकर आनंद लिया।