महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा मुंशी प्रेमचंद जयंती पर संगोष्ठी का सफल आयोजन-
अकादमी कार्याध्यक्ष डॉ दुबे ने कहा- मानवीय मूल्यों के सच्चे पुरस्कर्ता थे मुंशी प्रेमचंद
मुंबई। मुंबई के कांदिवली पश्चिम स्थित बी.के. श्रॉफ कला एवं एम.एच. श्रॉफ वाणिज्य महाविद्यालय के सभागार में सोमवार, 31 जुलाई, 2023 को कालजयी रचनाकार मुंशी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी एवं महाविद्यालय के हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘वर्तमान समय में प्रेमचंद और उनके साहित्य की सार्थकता’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। संगोष्ठी में महाराष्ट्र राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक, साहित्यकार एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। इस अवसर पर अपने प्रमुख सम्बोधन में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ शीतला प्रसाद दुबे ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद मानवीय मूल्यों के सच्चे पुरस्कर्ता धे और उनका साहित्य संवेदनशील शब्दों के इतिहास में हमेशा अमर रहेगा। उन्होंने कहा कि अकादमी विभिन्न प्रमुख साहित्यकारों के व्यक्तित्व एवं रचनात्मक बिंदुओं पर आधारित कार्यक्रमों के समयानुकूल आयोजन के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रही है और भविष्य में भी ऐसे सार्थक आयोजन निरंतर जारी रहेंगे।
संगोष्ठी का शुभारम्भ माॅं सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। तत्पश्चात सभागार में राज्यगीत की धुन बजी। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ लिली भूषण ने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं। महाविद्यालय के शैक्षणिक एवं प्रशासनिक सलाहकार डॉ. वी. एस. कन्नन ने मुंशी प्रेमचंद को आम आदमी का कहानीकार बताया एवं विद्यार्थियों को उनके साहित्य को अधिक से अधिक पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सत्यदेव त्रिपाठी ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बीज वक्तव्य प्रस्तुत किया। उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ शीतला प्रसाद दुबे ने अपना अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत किया। प्रथम सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ उषा मिश्रा ने की। विशेष अतिथि के रूप में भवंस कॉलेज की उप प्राचार्य एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ रेखा शर्मा उपस्थित थीं। अन्य प्रपत्र वाचकों में बिरला कॉलेज के प्राध्यापक डॉ श्याम सुंदर पांडे, एस. आय.ई.एस. कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉ दिनेश पाठक, नेशनल कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष सुश्री अंजना विजन थीं। सभी ने अपने वक्तव्य में प्रेमचंद जी के उपन्यासों और कहानियों पर प्रकाश डाला एवं वे आज भी क्यों सार्थक और प्रासंगिक हैं, इसका तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता सोमैया कॉलेज के भाषा संकाय के अधिष्ठाता डॉ. सतीश पांडे ने की। गुरुनानक कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ मनप्रीत कौर, डॉ. रवीन्द्र कात्यायन, डॉ. महात्मा पांडे और डॉ सत्यवती चौबे ने मुंशी प्रेमचंद की कहानियों में सामाजिक सरोकार पर चर्चा की। मेहुल वाघेला, विकास दुबे और आशा गुप्ता ने ‘ठाकुर का कुंआ’ कहानी का नाटकीय मंचन किया। समापन सत्र में बी. एम. रुइया गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डॉ संतोष कौल ने पूरी संगोष्ठी का सारांश प्रस्तुत किया। अंत में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के सदस्य और वरिष्ठ साहित्यकार गजानन महतपुरकर ने अकादमी की ओर से सभी का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के सदस्य आनंद सिंह, अमोल पेडणेकर और मार्कंडेय त्रिपाठी भी मौजूद थे, जिनका स्वागत सत्कार संगोष्ठी की संयोजिका डॉ. उर्मिला सिंह ने किया। संगोष्ठी का समापन राष्ट्र गान के साथ हुआ।